Public Holiday 2025: दिसंबर का महिना हमेशा छुट्टियों की सोगात लेकर आता है. कभी सर्दी का मीठा स्पर्श, तो कभी त्योहारों और चुनावों की हलचल. इसी कड़ी में अब केरल से आई ताज़ा सूचना ने सरकारी कर्मचारियों, विद्यार्थियों और आम लोगों के लिए कुछ राहत भरी खबर दी है. 9 और 11 दिसंबर—ये दोनों तारीखें अब राज्य में सरकारी अवकाश घोषित कर दिया हैं. वजह है—स्थानीय निकाय चुनाव, जो राज्य के दो चरणों में आयोजित होने वाले हैं.
दो दिन का विशेष अवकाश
केरल सरकार ने यह अवकाश केवल आराम के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए घोषित किया है. यह निर्णय यह दर्शाता है कि हर वोट की कीमत होती है और हर नागरिक की भूमिका अहम होती है. सरकारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इन छुट्टियों का उद्देश्य मतदान प्रतिशत बढ़ाना और शांतिपूर्ण चुनाव कराना है. यही नहीं, सरकार ने निजी क्षेत्र के संस्थानों को भी निर्देश दिया है कि वे अपने कर्मचारियों को वेतन सहित छुट्टी दें, ताकि वे बिना दबाव के मतदान कर सकें.
किन जिलों में कब मिलेगी छुट्टी?
चुनाव दो चरणों में होने के कारण अवकाश भी दो हिस्सों में बांटा गया है.
9 दिसंबर को छुट्टी वाले जिले:
- तिरुवनंतपुरम
- कोल्लम
- पठानमथिट्टा
- अलप्पुझा
- कोट्टायम
- इडुक्की
- एर्नाकुलम
11 दिसंबर को छुट्टी वाले जिले:
- त्रिशूर
- पलक्कड़
- मलप्पुरम
- कोझिकोड
- वायनाड
- कन्नूर
- कासरगोड
इन सभी जिलों में सरकारी कार्यालय, स्कूल-कॉलेज, शिक्षण संस्थान, और निजी औद्योगिक इकाइयाँ पूरी तरह बंद रहेंगी.
शिक्षण संस्थानों पर भी लगेगा ताला
स्कूल और कॉलेज भी दोनों चरणों में बंद रहेंगे, ताकि छात्र और अभिभावक मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकें. दिसंबर का महीना वैसे भी परीक्षाओं से पहले का तनावपूर्ण समय होता है. ऐसे में दो दिन की यह छुट्टी विद्यार्थियों के लिए न केवल आराम, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को समझने का अवसर भी प्रदान करेगी.
प्राइवेट कर्मचारियों को राहत—वेतन के साथ छुट्टी
अक्सर यह देखने को मिलता है कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी वोटिंग के दिन ऑफिस जाने और काम के दबाव के चलते मतदान नहीं कर पाते. लेकिन इस बार केरल सरकार ने स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि सभी निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को वेतन के साथ अवकाश दें. यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि काम और लोकतंत्र के बीच कोई टकराव न हो.
अवकाश नहीं, जिम्मेदारी का दिन
यह छुट्टी सिर्फ आराम का अवसर नहीं, बल्कि अपने अधिकार के प्रयोग का दिन है. यह दिन याद दिलाता है कि वोट देना सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माण की प्रक्रिया है.
लोकतंत्र की सबसे मजबूत नींव तभी बनती है जब आम नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और उसे निभाए. हर वोट नीतियों, योजनाओं, और ज़मीनी विकास की दिशा तय करता है.
इस छुट्टी का असली मकसद क्या है?
सरकार द्वारा जारी आदेश में यह बात लिखी गई है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि:
- शांतिपूर्ण और व्यवस्थित चुनाव सुनिश्चित हो सकें
- मतदान प्रतिशत को अधिकतम तक बढ़ाया जा सके
- कोई भी नागरिक अपने अधिकार से वंचित न रह जाए
जब सरकार खुद कहती है—“आप जाइए और वोट दीजिए, छुट्टी हमारी तरफ से है”, तब यह बात एक पवित्र जिम्मेदारी बन जाती है.
कौन-कौन होंगे इस छुट्टी के असली लाभार्थी?
इस दो दिवसीय अवकाश से समाज के हर वर्ग को लाभ मिलेगा:
- सरकारी कर्मचारी – ऑफिस से छुट्टी और लोकतंत्र में भागीदारी
- विद्यार्थी – नागरिकता और चुनाव की प्रक्रिया को समझने का अवसर
- प्राइवेट कर्मचारी – बिना डर और दबाव के मतदान की आज़ादी
- गृहिणी – अपनी पसंद की सरकार चुनने की भागीदारी
- बुजुर्ग – आराम और सुरक्षा के साथ मतदान केंद्र तक पहुंचने का अवसर






