School Holiday: मध्य प्रदेश के स्कूलों में इस बार क्रिसमस और सर्दियों की छुट्टियों को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है.** मिशनरी और सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में इस साल लंबी क्रिसमस छुट्टियों की परंपरा टूट रही है.राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों के चलते स्कूलों को शीतकालीन अवकाश सीमित समय के लिए देना होगा, जिसका असर छात्रों और अभिभावकों पर भी पड़ रहा है.
मिशनरी स्कूलों में क्रिसमस पर सिर्फ दो दिन की छुट्टी
राज्य के मिशनरी स्कूलों में इस बार क्रिसमस पर केवल दो दिन की छुट्टी दी जाएगी.क्रिसमस (25 दिसंबर) और एक दिन पहले या बाद की छुट्टी के बाद, 31 दिसंबर से 4 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश रहेगा.यानी कुल मिलाकर छात्रों को सिर्फ 6 दिन का ब्रेक मिलेगा, जो पहले की तुलना में काफी कम है
पहले मिलती थी 10 दिनों से ज्यादा की छुट्टी
बीते वर्षों में सीबीएसई स्कूलों में क्रिसमस से पहले ही शीतकालीन अवकाश शुरू हो जाता था. * आमतौर पर 23 दिसंबर से लेकर 1 या 2 जनवरी तक स्कूल बंद रहते थे* बच्चों और शिक्षकों को लगातार 10 से 12 दिन की छुट्टियां मिलती थीं. लेकिन इस बार छुट्टियों को लेकर सख्ती बरती गई है. सीबीएसई स्कूलों को राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के नियमों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.
राजधानी के 150 से ज्यादा स्कूल प्रभावित
राजधानी भोपाल में लगभग 150 सीबीएसई स्कूल संचालित हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मिशनरी स्कूल भी शामिल हैं. इन स्कूलों ने अब 31 दिसंबर से 4 जनवरी तक छुट्टियों का नया शेड्यूल जारी कर दिया है. अभिभावकों को भी स्कूलों से सूचना दे दी गई है कि इस बार लंबा ब्रेक नहीं मिलेगा.
सरकारी स्कूलों में भी बदला शीतकालीन अवकाश का फॉर्मेट
सरकारी स्कूलों में भी शिक्षा विभाग ने नया अवकाश शेड्यूल लागू किया है. 25 दिसंबर को क्रिसमस की एक दिन की छुट्टी रहेगी. इसके बाद 31 दिसंबर से 4 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित किया गया है. * 5 जनवरी से स्कूल पुनः खुलेंगे और कक्षाएं सामान्य रूप से संचालित होंगी.
स्कूलों के लिए राज्य नियमों का पालन जरूरी
राज्य सरकार के निर्देशानुसार, अब सभी स्कूलों को अवकाश के मामले में एक समान नीति अपनानी होगी. इसका मकसद है कि छात्रों की पढ़ाई का नुकसान कम हो और सभी स्कूलों में सत्र एकरूपता से चले. इसी कारण सीबीएसई और मिशनरी स्कूलों को भी अब राज्य शिक्षा विभाग के कैलेंडर का पालन करना अनिवार्य किया गया है.
छुट्टियों की सख्ती पर क्या कहते हैं अभिभावक?
अभिभावकों का कहना है कि ठंड के मौसम में बच्चों को थोड़ा लंबा ब्रेक मिलना चाहिए, ताकि वे आराम कर सकें और बीमारियों से भी बच सकें. पहले मिलने वाली लंबी छुट्टियों में बच्चे परिवार के साथ समय बिता पाते थे, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं हो पाएगा. हालांकि कुछ अभिभावकों ने इस फैसले का समर्थन भी किया है और कहा है कि अवकाश कम होने से पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी.
छात्रों में मिला-जुला रिएक्शन
छात्रों में इस बदलाव को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कुछ छात्र कम छुट्टियों से नाराज़ हैं क्योंकि वे इस समय का इंतजार पूरे साल करते हैं. वहीं, कुछ छात्र इसे पढ़ाई के लिहाज से ठीक मानते हैं, क्योंकि लंबे ब्रेक के बाद पढ़ाई की लय टूट जाती है.
शिक्षकों ने जताई सहमति, लेकिन रखी शर्तें
कई शिक्षक इस बदलाव को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं.उनका मानना है कि अवकाश सीमित रहने से सिलेबस पूरा करना आसान होगा.हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ठंड के चरम समय में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाने चाहिए.
ठंड बढ़ी तो हो सकता है बदलाव
मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में ठंड का असर दिसंबर के अंतिम सप्ताह और जनवरी की शुरुआत में ज्यादा रहता है.अगर तापमान बहुत गिरता है तो छुट्टियों की अवधि बढ़ाई जा सकती है.शिक्षा विभाग इस पर निगरानी रखेगा और हालात के अनुसार बदलाव कर सकता है.






