स्लीपर ट्रेन में भी मिलेगी एसी कोच वाली सुविधाएं, घर से तकिया चादर ले जाने का झंझट खत्म Indian Railway Facility

Indian Railway Facility: भारतीय रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिए नए और बढ़िया कदम उठा रहा है. इसी दिशा में दक्षिण रेलवे ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसने नॉन‑एसी स्लीपर कोच में सफर करने वाले ...

Rajeev Balhara

Indian Railway Facility: भारतीय रेलवे लगातार यात्रियों की सुविधा बढ़ाने के लिए नए और बढ़िया कदम उठा रहा है. इसी दिशा में दक्षिण रेलवे ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की है, जिसने नॉन‑एसी स्लीपर कोच में सफर करने वाले लाखों यात्रियों को राहत दी है. अब तक बेडशीट, तकिया और तकिए का कवर जैसी सुविधाएं केवल एसी कोच में यात्रा करने वालों को मिलती थीं, लेकिन अब गैर‑वातानुकूलित (नॉन‑एसी) स्लीपर कोच में भी यह सुविधा नाममात्र शुल्क पर उपलब्ध कराई जाएगी.

नॉन‑एसी यात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी

लंबी दूरी की यात्रा करने वाले नॉन‑एसी यात्री अक्सर शिकायत करते रहे हैं कि उन्हें सफर के दौरान आरामदायक बिस्तर की सुविधा नहीं मिलती. खासकर मानसून और सर्दियों के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है. दक्षिण रेलवे के इस फैसले से अब नॉन‑एसी स्लीपर यात्रियों को भी साफ‑सुथरी बेडशीट और तकिया मिल सकेगा, जिससे यात्रा कहीं ज्यादा सुविधाजनक और आरामदायक हो जाएगी.

क्या‑क्या मिलेगा यात्रियों को?

इस नई सुविधा के तहत यात्रियों को बेडरोल किट दी जाएगी, जिसमें शामिल होंगे—

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  • एक बेडशीट
  • एक तकिया
  • एक तकिए का कवर

यात्री अपनी जरूरत के हिसाब से पूरा सेट या अलग‑अलग सामान भी ले सकेंगे. इससे उन लोगों को खास फायदा होगा, जिन्हें सिर्फ बेडशीट या सिर्फ तकिया चाहिए

क्या रहेगी कीमत? जानिए पूरा रेट कार्ड

रेलवे ने इस सुविधा के लिए स्पष्ट और किफायती दरें तय की हैं, ताकि आम यात्री पर अतिरिक्त बोझ न पड़े.

कीमतें इस प्रकार होंगी:

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  • पूरा सेट (बेडशीट + तकिया + कवर)₹50
  • केवल बेडशीट₹20
  • तकिया + तकिए का कवर₹30

इन दरों को देखते हुए यह साफ है कि रेलवे ने सुविधा को मुनाफे से ज्यादा यात्रियों की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया है.

कब से शुरू होगी यह नई सुविधा?

  • दक्षिण रेलवे की यह नई पहल 1 जनवरी 2026 से लागू होगी. शुरुआत में इसे पायलट आधार पर 10 प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनों में शुरू किया जाएगा.
  • रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्रियों की प्रतिक्रिया और मांग के आधार पर आगे चलकर इस सुविधा को अन्य ट्रेनों और डिवीजनों में भी लागू किया जा सकता है.

पहले चरण में इन 10 ट्रेनों में मिलेगी सुविधा

पहले चरण में दक्षिण रेलवे की जिन ट्रेनों में यह सुविधा शुरू की जा रही है, वे इस प्रकार हैं—

  1. चेन्नई‑मेट्टुपालयम नीलगिरि सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  2. चेन्नई‑मंगलुरु सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  3. चेन्नई इग्मोर‑मन्नारगुडी एक्सप्रेस
  4. चेन्नई इग्मोर‑तिरुचेंदूर सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  5. चेन्नई‑पालक्काड एक्सप्रेस
  6. चेन्नई इग्मोर‑शेंगोट्टाई सिलंबु सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  7. तांबरम‑नागरकोइल सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  8. चेन्नई‑तिरुवनंतपुरम सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  9. चेन्नई‑आलेप्पी सुपरफास्ट एक्सप्रेस
  10. चेन्नई इग्मोर‑मंगलुरु एक्सप्रेस

इन ट्रेनों में यात्रा करने वाले स्लीपर क्लास यात्री अब नाममात्र शुल्क देकर बेडरोल सुविधा का लाभ उठा सकेंगे.

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पायलट प्रोजेक्ट को मिला शानदार रिस्पॉन्स

यह योजना अचानक नहीं लाई गई है. दरअसल, रेलवे ने इसे 2023‑24 में शुरू की गई “न्यू इनोवेटिव नॉन‑फेयर रेवेन्यू आइडियाज स्कीम (NINFRIS)” के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया था.इस पायलट प्रोजेक्ट को यात्रियों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. यात्रियों ने इसे सस्ती कीमत में बड़ा आराम बताया, जिसके बाद रेलवे ने इसे स्थायी रूप से लागू करने का फैसला किया

स्वच्छता और गुणवत्ता पर रहेगा पूरा ध्यान

रेलवे ने साफ किया है कि बेडरोल की खरीद, मशीनी धुलाई, पैकिंग, लोडिंग, वितरण और भंडारण का पूरा काम ठेके पर दिया जाएगा.

इस व्यवस्था से—

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  • बेडशीट और तकिए की सफाई सुनिश्चित होगी
  • हर यात्रा में ताजा और साफ सामग्री मिलेगी
  • स्वास्थ्य और स्वच्छता मानकों का पूरा पालन किया जाएगा

यह कदम खास तौर पर उन यात्रियों के लिए राहत भरा है, जो सफर के दौरान साफ‑सफाई को लेकर चिंतित रहते हैं.

रेलवे को भी होगा आर्थिक फायदा

  • यह पहल सिर्फ यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि रेलवे की आमदनी बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी.
  • रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस सेवा से चेन्नई डिवीजन को अगले तीन वर्षों में लगभग 28.27 लाख रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है.
  • यानी यह योजना यात्री सुविधा और रेलवे की कमाई—दोनों के लिहाज से फायदेमंद साबित होगी.

सोशल मीडिया पर भी जमकर हो रही तारीफ

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर यात्रियों की प्रतिक्रियाएं तेजी से सामने आ रही हैं. कई यूजर्स ने इसे “छोटा कदम, बड़ा आराम” बताया है.

लोगों का कहना है कि—

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  • नॉन‑एसी यात्रियों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता था
  • यह फैसला समान सुविधा की दिशा में बड़ा कदम है
  • लंबी दूरी की यात्रा अब पहले से ज्यादा आरामदायक होगी

किन यात्रियों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?

इस सुविधा का सबसे ज्यादा लाभ—

  • लंबी दूरी के स्लीपर यात्री
  • वरिष्ठ नागरिक
  • महिला यात्री
  • मानसून और सर्दियों में यात्रा करने वाले लोग

को मिलेगा. अब यात्रियों को घर से बेडशीट या कंबल लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे यात्रा और भी आसान हो जाएगी.

आगे और विस्तार की संभावना

  • रेलवे सूत्रों के मुताबिक, यदि दक्षिण रेलवे में यह योजना सफल रहती है, तो इसे अन्य जोनों और ट्रेनों में भी लागू किया जा सकता है.
  • इसका मतलब है कि आने वाले समय में पूरे देश के नॉन‑एसी स्लीपर यात्रियों को यह सुविधा मिल सकती है.

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